
2022 की तुलना में 2024 में केस तीन गुना बढ़े, लेकिन स्वास्थ्य केंद्रों में एंटी-वेनम की कमी गंभीर चुनौती
भोपाल।
मध्य प्रदेश में सांप के काटने के मामलों में तेजी से इजाफा हो रहा है। हालिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 2022 की तुलना में 2024 में यह आंकड़ा करीब तीन गुना बढ़ गया है। हालांकि, सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि प्रदेश के अधिकांश प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और जिला अस्पतालों में एंटी-वेनम (ASV) की भारी कमी बनी हुई है।
खतरा क्यों बढ़ा?
- मानसून और खेतों में पानी भरने से सांपों के निकलने की घटनाएँ बढ़ी हैं।
- ग्रामीण इलाकों में लोग खेतों और जंगलों में बिना सुरक्षा सावधानियों के काम करते हैं।
- जागरूकता की कमी से लोग समय पर अस्पताल नहीं पहुँच पाते।
एंटी-वेनम की कमी
- रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश के कई स्वास्थ्य केंद्रों में एंटी-वेनम स्टॉक बेहद कम है।
- कुछ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में एक भी खुराक उपलब्ध नहीं है।
- ऐसे में गंभीर मामलों में मरीजों को बड़े शहरों की ओर रेफर करना पड़ता है, जिससे मौत का खतरा बढ़ जाता है।
आंकड़े और वास्तविकता
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, भारत हर साल सांप के डसने से 50,000 से ज्यादा मौतें झेलता है।
- मध्य प्रदेश इस सूची में सबसे ऊपर रहने वाले राज्यों में से एक है।
- ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में यह समस्या सबसे ज्यादा गंभीर है।
विशेषज्ञों की राय
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है:
“अगर समय पर एंटी-वेनम उपलब्ध हो जाए और मरीज को तुरंत प्राथमिक उपचार दिया जाए, तो 90% से ज्यादा केसों में जान बचाई जा सकती है। समस्या दवा की कमी और विलंब से इलाज मिलने की है।”
Analysis (विश्लेषण):
मध्य प्रदेश में सांप के काटने के मामले सिर्फ स्वास्थ्य चुनौती नहीं बल्कि एक ग्रामीण संकट भी हैं। खेती और मजदूरी करने वाले लोग सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। सरकार को तुरंत एंटी-वेनम की सप्लाई, ग्रामीण इलाकों में जागरूकता अभियान और स्वास्थ्य केंद्रों में आपात व्यवस्था मजबूत करनी होगी।
Conclusion (निष्कर्ष):
सांप के डसने से बढ़ती मौतों और मामलों पर काबू पाने के लिए स्वास्थ्य तंत्र को मजबूत करना जरूरी है। समय पर एंटी-वेनम और प्राथमिक उपचार मिलना ही हजारों जानें बचा सकता है।