प्रशांत किशोर का ‘जन सुराज अभियान’ बिहार में तेज़ — भ्रष्टाचार, बेरोज़गारी और पारदर्शिता पर बड़ा फोकस
बिहार की राजनीति में फिर से हलचल — प्रशांत किशोर का जन सुराज अभियान जनता के बीच नई उम्मीद और बदलाव का संदेश लेकर पहुंचा है।

बिहार की राजनीति में फिर से हलचल — प्रशांत किशोर का जन सुराज अभियान जनता के बीच नई उम्मीद और बदलाव का संदेश लेकर पहुंचा है।
बिहार की राजनीति में एक बार फिर हलचल मच गई है। चुनावी मौसम से पहले प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने अपने बहुचर्चित “जन सुराज अभियान” को तेज़ करते हुए जनता के बीच सीधे संवाद शुरू कर दिए हैं। यह अभियान राजनीति को “लोगों की आवाज़” तक पहुँचाने का दावा कर रहा है, जिसमें भ्रष्टाचार, बेरोज़गारी, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे मुद्दे मुख्य केंद्र में हैं।
प्रशांत किशोर का कहना है कि —
“बिहार की राजनीति में बदलाव तब तक नहीं आएगा, जब तक जनता खुद शासन की प्रक्रिया में शामिल नहीं होगी। जन सुराज उसी दिशा में एक कदम है।”
🔹 अभियान का उद्देश्य
जन सुराज अभियान का मकसद है राजनीति में पारदर्शिता लाना और जनभागीदारी को मजबूत करना। किशोर का कहना है कि बिहार में विकास की राह भ्रष्टाचार और राजनीतिक स्वार्थों में उलझ गई है। इस आंदोलन के ज़रिए वे गांव-गांव जाकर आम लोगों से संवाद कर रहे हैं और उनकी समस्याओं को सीधे सुन रहे हैं।
🔹 जनता का बढ़ता समर्थन
पिछले कुछ महीनों में प्रशांत किशोर ने सीवान, दरभंगा, सिवान, समस्तीपुर, और मुजफ्फरपुर जैसे जिलों में बड़ी सभाएँ कीं। इन सभाओं में युवाओं और किसानों की भारी मौजूदगी दिखी। स्थानीय लोग मानते हैं कि किशोर की भाषा और काम करने का तरीका उन्हें बाकी नेताओं से अलग बनाता है।
🔹 विपक्ष और सत्ता पक्ष की प्रतिक्रिया
जहाँ एक ओर सत्ता पक्ष इसे “राजनीतिक महत्वाकांक्षा” बता रहा है, वहीं विपक्ष का कहना है कि “बिहार को नए विचार और साफ राजनीति की ज़रूरत है”।
विशेषज्ञों के मुताबिक, प्रशांत किशोर का यह अभियान अगर इसी रफ्तार से चला तो 2025 के विधानसभा चुनाव में इसका बड़ा असर देखने को मिल सकता है।
🔹 सोशल मीडिया पर ट्रेंड
#JanSuraaj और #PrashantKishor जैसे हैशटैग ट्विटर और इंस्टाग्राम पर ट्रेंड कर रहे हैं। खासकर युवाओं में इस अभियान के प्रति उत्साह दिखाई दे रहा है।