
भारत में वायु प्रदूषण ने लाखों लोगों को गंभीर बीमारियों की चपेट में ला दिया है, लेकिन अधिकतर लोग इस खतरे से अनजान हैं।
नई दिल्ली: हाल ही में जारी एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि भारत में लाखों लोग वायु प्रदूषण के कारण गंभीर बीमारियों के जोखिम में हैं, लेकिन उन्हें इसका एहसास तक नहीं है। इनमें सबसे ज़्यादा असर डायबिटीज़, एनीमिया और श्वसन संबंधी बीमारियों पर देखा जा रहा है।
रिपोर्ट के मुख्य तथ्य:
- महिलाओं और बच्चों पर प्रदूषण का असर ज्यादा देखा गया है।
- PM2.5 जैसे हानिकारक कणों को अगर 30% तक कम किया जाए तो डायबिटीज़ और एनीमिया के मामलों में भारी गिरावट आ सकती है।
- बच्चों में लो बर्थ वेट, अस्थमा और ब्रोंकाइटिस जैसी समस्याएँ तेजी से बढ़ रही हैं।
- लंबे समय तक प्रदूषण में रहने वाले लोगों में COPD और फेफड़ों की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
क्यों ज़रूरी है जागरूक होना?
विशेषज्ञों का कहना है कि इन बीमारियों की शुरुआती स्टेज में कोई बड़े लक्षण नज़र नहीं आते, लेकिन समय के साथ ये गंभीर रूप ले लेती हैं। अगर तुरंत ध्यान न दिया गया तो आने वाले समय में स्वास्थ्य प्रणाली पर बड़ा बोझ पड़ सकता है।
बचाव के उपाय:
- मास्क का नियमित उपयोग और एयर प्यूरीफायर का सहारा।
- पोषक तत्वों से भरपूर आहार — हरी सब्ज़ियाँ, फल, विटामिन-सी और आयरन से भरपूर भोजन।
- नियमित स्वास्थ्य जांच — शुगर लेवल, हीमोग्लोबिन और फेफड़ों की क्षमता।
- बच्चों और बुजुर्गों को प्रदूषण वाले इलाकों में कम ले जाएँ।
- पर्यावरणीय सुधारों की मांग और व्यक्तिगत स्तर पर वाहन का कम प्रयोग।
वायु प्रदूषण सिर्फ़ पर्यावरणीय समस्या नहीं है, यह स्वास्थ्य का मौन संकट है। अगर समय रहते कदम नहीं उठाए गए तो आने वाले सालों में यह गंभीर स्वास्थ्य आपदा का रूप ले सकता है।